प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं:- दुख और विपत्तियाँ आने पर क्या करना चाहिए?

एन विवेक जी सत मार्ग का प्रतीक विवेक उसका  का बड़ा महत्व है संसार का बड़ा महत्व है पहले आपको सपोर्ट किया उसकी व्याख्या कर रहे हैं अगर मुझे पांच भौतिक शरीर में मिलता तो मैं समाज की सेवा भी नहीं कर पाता और मुझे यह ज्ञान नहीं होता कि समाज की सेवा का क्या अशोक है और शरीर के राज के त्याग का क्या सुख है इसलिए शरीर पर बड़ा महत्व है क्यों क्योंकि उसने आत्मानंद की प्राप्ति का हमें मार्ग बताया शरीर भी हमारा 24 गुरुओं में एक शरीर भी गुरु बनाया करके और उनकी सुख की भावना करके भगवत चिंतन किया तो जो शुद्ध ज्ञान प्रकट हुआ बहू नाम जनमानव ज्ञानवान मंत्र लेकिन अंतिम धारा में सर्वम बहुत बड़ा महत्व है वासुदेव का प्रथम में राज त्याग है फिर बाद में तुझे गाड़ी का महत्व है लक्ष्य तक पहुंचा देना परमात्मा का नहीं हुआ भयानक रोग आ जाए तो फिर आधे गाड़ी में आग लग जाने पर जो दशा होती है लेकिन यह स्थिति प्राप्त महापुरुष के लिए साधारण पुरुष तो विचलित हो जाएगा साधारण पुरुष को भगवान नाम का स्मरण करने का इतना अभ्यास कर लेना चाहिए कि सुख और दुख में निंदा और स्थिति में मानव मन में हर्ष और शोक में लाभ और हानियां और पराजय में भगवान का विस्मरण ना हो ऐसा अभ्यास कर ले फिर यह बात क्या है मन बुद्धि का शरीर दुख सुख में खिंचाव होना की बहुत भारी त्रुटि है आध्यात्मिक मार्ग के प्रति की सुख में या दुख में दोनों हमारे बांधने का टने वाले प्रथम धारा में बहुत उत्तम बात है कि संसार की सेवा और शरीर के लाभ का त्याग और स्वरूप में प्रति शेयर का कोई महत्व नहीं है यही हमको शरीर के लाभ की स्थिति प्रदान करता है पर शरीर का महत्व है यह भी ब्रह्म स्वरुप है इसके बाद जैसे हम भक्ति में है तो भगवान की सेवा में आने वाले एक लोटे को भी पूज्य भाव से देखना मार्जिन करके अच्छी जगह रखेंगे भगवान की सेवा का लूट है जिससे हम मार्जन कर रहे लूटेगा वह भी तो सेवा का पात्र है तो फिर वह प्यार भगवान के संबंध से हो जाता है पहले प्यार दिया अभियान से भोगने के लिए होता है अभी भगवान की सेवा का पात्र हो गया शरीर से मन से वाणी से कामना रहित होकर कामना हिमालय सब कुछ भगवान का है इस शरीर में भगवान का मैं भी भगवान का अस्तित्व भगवान नाम का स्मरण करने का इतना अभ्यास कर लेना चाहिए कि सुख और दुख में निंदा और स्थिति में मानव मन में हर्ष और शोक में लाभ और हानियां और पराजय में भगवान का विस्मरण ना

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