‘एक राष्ट्र, एक चुनाव'(onoe bill ) बार-बार Election से मुक्ति
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ बिल:
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल का उद्देश्य भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है। इसका लक्ष्य चुनावी अवसरों की आवृत्ति को घटाना और प्रशासनिक बोझ कम करते हुए संसाधनों की बचत करना है।
वर्तमान स्थिति और अगले कदम:
17 दिसंबर, 2024 को लोकसभा में यह विधेयक पेश किया गया, जिसमें पक्ष में 269 वोट और विपक्ष में 198 वोट पड़े।
हालाँकि, यह साधारण बहुमत से पारित हो गया, लेकिन संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला।
आगे की प्रक्रिया:
- संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करना आवश्यक है।
- कम से कम आधे राज्य विधानसभाओं का अनुसमर्थन भी जरूरी है।
- सरकार को इस प्रस्ताव को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए विचार-विमर्श और आम सहमति बनानी होगी।
मुख्य बिंदु:
- संवैधानिक संशोधन:
- प्रस्तावित विधेयक में संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़े जाने और तीन मौजूदा प्रावधानों में संशोधन का प्रावधान है।
- यह संशोधन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को समन्वित रूप से आयोजित करने के लिए किया जाएगा।
- एकीकरण और समन्वय:
- राज्य विधानसभाओं के चुनाव कार्यक्रम को लोकसभा चुनावों के साथ समान रूप से समन्वित किया जाएगा।
- इसके लिए मौजूदा विधानसभा के कार्यकाल में आवश्यक समायोजन किया जाएगा।
समर्थकों और विरोधियों के तर्क:
✅ समर्थकों का पक्ष:
- चुनावी लागत और प्रशासनिक बोझ में कमी।
- सरकारों को बार-बार चुनाव प्रचार में उलझने के बजाय शासन पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर।
❌ आलोचकों का तर्क:
- यह भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है।
- राज्य सरकारों की स्वायत्तता में कमी और शक्ति का अधिक केंद्रीकरण।
- इस प्रणाली को लागू करने में संवैधानिक और तार्किक चुनौतियाँ।
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